Thursday, May 7, 2009

भ्रष्टाचार

आज कल की है रीती
सब की चलती है राजनीती

सभी शासन के है भूके
एक दूसरे को गिराने की लिए है रुके

पैसे की है किम्मत
बस चलती दौलत की हुकूमत
भ्रष्टाचार है इनका जड़
जिसका नही है कोइ तोड़

अगर होना हो परिक्षे मैं पास
तो दिखा दो इनको हरी घास
अगर चाहिए नौकरी
बस दे दो इनको पैसो की टोकरी
अपराधी को अगर करना है रिहा
तो पैसे बनाते है इनकी दवा

सभी बनाना चाहते है अपनी सरकार
सभी जताना चाहते है अपना अधिकार
हाथ जोड़कर नेता है आते
और कई कसमे वाडे है करते
पर जब मिलाती है उन्हें कुर्सी
तो होती है शुरू इनकी चाप्रुसी

चाँद पैसो के लिए
दंगा फसाद है ये करते
और देते है कई घाव
जो पैदा करता है तनाव
भूल जाता है भाई, भाई को
और गिरते है
लाशों के देर कई

भ्रष्टाचारी लोगों की उंगलियाँ डूबी रहती घी में
जब आम इंसान जीता कठिनाई में

जाने कब खत्म होगा भ्रष्टाचार
क्या कभी होगा सभी लोगों में प्यार?




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